Rajani katare

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बंधन जन्मों का भाग -- 3

                "बंधन जन्मों का" भाग- 3

पिछला भाग:--


हमाओ तो जी घबरान लगत...अंधियारो हो गओ... ऊबड़-खाबड़ रस्ता...हमायी तो समझ में नौयीं आ रयी...काये इत्ती अबेर कर लयी...अबे लों ने आ पाये......
अब आगे:--
अम्माऽऽ उतंयीं बाहरे ओटले पे बैठी रे हो का....?
अंदरयी तो आंहें बापू... ले बे आ गये, काये तुमाये 
लाने समझ काये नयीं आत...हमोरे कितते हैरान होत हैं...ऐऽऽ जो का हो गओ, इतते धूरा में सने अटे!! अरे भागवान जा कहो बच गये, हमरो भाग अच्छो हतो...
थोड़ी बहुत चमड़ी उधड़ी ओर कछु ने भओ......
चलो तुमने तैयारी कर ली... कल मढ़िया जी के चलने 
है, सब कुछ ठंडा चढ़ता है...आंहा कछु ने करी आये...
तुमरी चिंता जो लगी हती, गप्पों में भूले रये
के रात ने करें, ऊबड़-खाबड़ रस्ता आये....
अबयीं करे लेत आयें... बच्चू तुम औरें सोओ....
सकारे जल्दी उठ जईयो, मढ़िया जी चल हैं....
सिया ने चूल्हा जलाकर जल्दी जल्दी अठवांई, 
भजिया, गुलगुला, कढ़ी चावल, और घुघरी फरा
सब कुछ बना  कर रख लिया.....

दूसरे दिन सुबह सब जल्दी उठ गये, नित्यकर्म से निवृत्त होकर सभी तैयार हुये... सुबह से ही घर में मेहमान भी 
आ चुके थे, अड़ोस-पड़ोस के भी आ गये....ढोल वाला 
भी ढोल बजाने लगा...
भौजी ने सूपा भी तैयार कर लिया... बड़ी पापड़, आटा, दाल, चावल, बेसन, तेल घी सभी कुछ चढ़ाया जाता है मैया जी को.....

विमला को आज साड़ी पहना कर अच्छे से तैयार 
करा...उसके हाथों में एक सफेद और एक लाल
झंडी पकड़ा कर सब मढ़िया जी के लिए निकले...
भौजी, मामी, मौसी और अम्मा ने दूर से ही जमीन 
पर लेट कर पैंगे भरना शुरु करीं.....
पूजा अर्चन करके, देवी मैया को सब चढ़ावा चढ़ाया
फिर उनसे विनती करी...सब कार्य निर्विघ्न संपन्न हों,
कोई चीज की कमी न रह पावे.... मैया सब आपके 
हाथ में है......

घर आकर सबने वही प्रसाद ग्रहण किया, फिर गाना बजाना शुरु हुआ, भौजी ने ढोलक सम्हाली...
शुरुआत गणपति जी से होती है.... सो मौसी ने सबसे पहले एक गणपति जी का भजन गाया....

    आवत हैं गणपति आनन्द करो,
    नाचत आएं गणपति आनन्द करो,
    मूष चढ़े गणनायक आए, मौर चढ़ी सरस्वती,
    आनन्द करो.....
    गरुण चढ़े श्री राम पधारे, और आयीं सीता सती,
    आनन्द करो.....
    बैल चढ़े शिवशंकर आए, और आयीं पारवती,
    आनन्द करो.....
    बाल घूंघर भैरों जी आए, और आयीं हनुमती,
    आनन्द करो.....
    पान चढ़ाए, फूल चढ़ाए, और चढ़ायी बेलपाती,
    आनन्द करो.....
    भोग लगाए,दीपक जलाए, और लगाई ऊदबाती,
    आनन्द करो.....।

मौसी बहुतयी अच्छो भजन सुनाओ, सबरे देवी देवताओं को बुला लओ, खूबयी अच्छो लगो.....
अब भौजी एक देवी जी को भजन आपयी सुनाओ.... कायेऽऽ मौसी तो गा रयीं आयें...
सुनान तो दे... आहां भौजी अब आपयी की 
बारी आये ओ के बाद मामी से सोयी सुन हैं... 
ऐ भौजी शीतला माता की पूजा भई आये.... 
सो ओयी वारो सुना देओ.....

      शीतला महारानी की जय जय बोलो,
      शीतला महारानी की.....

       गंगा का नीर मैया कैसे चढ़ाऊं,
       मछली ने डाला है जुठार, 
       कि जय जय बोलो.....

      चंदन चावल मैया कैसे चढ़ाऊं,
      चिड़ियों ने डाला है जुठार,
      कि जय जय बोलो.....

       बैला का फूल मैया, कैसे चढ़ाऊं,
       भंवरे ने डाला है जुठार,
       कि जय जय बोलो.....

       मोहन भोग मैया कैसे लगाऊं,
       बच्चों ने डाला है जुठार,
       कि जय जय बोलो.....।

कल तो मंडप है री ओर परों बरात...सो सबरीं
उलात (जल्दी) कर लइयो.... घरे खाना माना तो
बनने नैंया... खाना तो सबयीं को इतयीं हैयी...
गाना बजाना और खाना... आशीष देत जइयो
मौड़ी को.....
क्रमशः--

         कहानीकार- रजनी कटारे
                जबलपुर ( म.प्र.)



       

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4 Comments

देविका रॉय

24-Jan-2022 07:29 PM

Nice 👍👍👍

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Zakirhusain Abbas Chougule

14-Jan-2022 07:47 AM

Nice

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Shrishti pandey

08-Jan-2022 04:29 PM

Very nice

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